नदी ज़िन्दगी की
नदी ज़िन्दगी की
धैर्य धरो मन मनुज
समय क्षणभंगुर है,
ये कट जायेगा |
दुःख जायेगा सुख आएगा
अगर हैं ग़म के बादल आज,
धैर्य धरो
कल छट जायेंगे |
क्यों हो आज निराश
सवेरा कल फिर होगा,
आज अगर है रात अँधेरी
कल दिन उज्जवल होगा |
व्यर्थ हो चिंतित कल को लेकर
कल है आज पे निर्भर,
करो परिश्रम आज
तो कल का फल खुद निश्चित होगा|
जीवन-मरण है कालचक्र
तो भय किस बात से लगना?
जब तक सांस है जगे रहो
फिर लम्बी रात है सोना|
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Holmes
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