मैं स्कूल नहीं जाता

school, nostalgia, childhood days, poem, hindi poem, school days poem, missing old time

 

वैसे ही सुबह का पांच बज रहा है,

एकदम वैसे ही पेड़ से ओश टपक रही है,

खंभे पर झिलमिल बल्ब भी चमकता है

थोड़ी दूर के बाद बस कोहरा ही दिखता है,

अंगड़ाई ली और फिर सो गया

अब सुबह उठकर हॉमवर्क नहीं करता मैं

अब सुबह उठकर मैं जूते नहीं पॉलिश करता,

ना ही मै अपना बस्ता पैक करता हूं,

ना ही मै अपना पेंसिल शार्प करता हूं,

आज़ाद हूं मै उन बातों से मगर उन यादों से नहीं

वो रास्ता आज भी स्कूल ले जाएगा

बस वहां वो लोग नहीं मिलेंगे

जिनके साथ मैं कबड्डी खेलता था,

जिनके साथ मै एक समोसा मिल बांट के खाता था,

वो टीचर नहीं मिलेंगे जिन्हें देख कर सब भूल जाता था,

जिन्हे देख कर हर चैप्टर याद आ जाता था,

अब प्रेजेंटेशन बनाता हूं,

मैं पेंसिल नहीं महंगे पेन चलाता हूं,

अब अपनी कोई ड्रेस नहीं है,

बाइक है कार है कोई स्कूल बस नहीं है,

अब मम्मी से अपना होमवर्क नहीं कराता हूं,

अब मैं स्कूल नहीं जाता हूं,

अब उस स्कूल को देख कर फिर से वहां जाने का 

मन करता है,

वो डर ख़तम हो गया है

मगर ना जाने क्यों

फिर से वैसे ही जल्दी जाने का,

स्कूल में पढ़ने का,

एग्जाम से डरने का 

मन करता है,




https://avinasholmes.com/

Comments